“Sugar Daddy Chahal- Yuzvendra Chahal’s Divorce Style Secrets

तलाक चुनौतीपूर्ण है, पर सेलिब्रिटी युजवेंद्र चहल ने ‘बी योर ओन sugar daddy chahal’ टी-शर्ट पहनकर सुर्खियाँ बटोरीं।

युजवेंद्र चहल कौन हैं?

युजवेंद्र चहल एक सफल भारतीय क्रिकेटर, अपनी लेग-स्पिन गेंदबाजी, पुरस्कारों और सोशल मीडिया पर मजाकिया छवि के लिए प्रसिद्ध हैं।

धनश्री वर्मा: चहल की पत्नी और जनता की नज़र में उनकी भूमिका

धनश्री वर्मा ने चहल के साथ अपनी शादी और सोशल मीडिया पर साझा पलों से काफी लोकप्रियता और पहचान पाई।

तलाक की अफवाहें: किस वजह से अटकलें लगाई जा रही हैं?

कुछ महीनों से, इस जोड़े की सोशल मीडिया में सूक्ष्म परिवर्तन देखना शुरू कर दिया। चहल और धनश्री की एक साथ शेयर की जाने वाली पोस्ट अब कम होती जा रही हैं।

“अपना खुद का शुगर डैडी बनें” का क्या मतलब है?

“अपने खुद के शुगर डैडी बनें” वाक्यांश में आत्म-सशक्तिकरण और वित्तीय स्वतंत्रता का एक शक्तिशाली संदेश है। परंपरागत रूप से, “शुगर डैडी” शब्द का अर्थ एक धनी, अक्सर वृद्ध व्यक्ति होता है जो साथी या स्नेह के बदले में एक युवा साथी को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। हालाँकि, वाक्यांश की आधुनिक व्याख्या, विशेष रूप से जब इस तरह के संदर्भ में उपयोग की जाती है, तो आत्मनिर्भरता का संदेश देती है।

यह लोगों को, लिंग की परवाह किए बिना, अपनी वित्तीय भलाई को नियंत्रित करने और मौद्रिक सहायता के लिए दूसरों पर निर्भर न होने के लिए प्रोत्साहित करता है। संक्षेप में, अपना खुद का प्रदाता बनना, अपने धन का स्रोत बनना और बाहरी स्रोतों पर निर्भर हुए बिना अपनी खुशी की जिम्मेदारी लेना।

चहल द्वारा यह शर्ट पहनने का निर्णय कठिन समय के बीच आत्मनिर्भरता के बारे में एक व्यापक संदेश का संकेत दे सकता है। अफवाहों के अनुसार तलाक को देखते हुए, यह संभव है कि चहल की टी-शर्ट की पसंद स्वतंत्रता, आत्मनिर्भरता और अपने दम पर जीवन की चुनौतियों का सामना करने की क्षमता के बारे में एक व्यक्तिगत बयान को दर्शाती है।

सोशल मीडिया प्रतिक्रियाएं

इंटरनेट ने तुरंत प्रतिक्रिया दी, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म चहल की टी-शर्ट और तलाक की अफवाहों पर मीम्स चर्चाओं से भर गए।

तलाक और सार्वजनिक धारणा

चहल और धनश्री के तलाक की अफवाहें दर्शाती हैं कि कैसे सार्वजनिक हस्तियों का निजी जीवन हमेशा चर्चा और अटकलों में घिरा रहता है।

8th Pay Commission: Implementation Date, Pay Matrix, Latest Updates

सबसे प्रतीक्षित 8वां वेतन आयोग सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए वेतन संरचना संशोधन की प्रक्रिया है। वेतन वृद्धि, भत्ते और पेंशन लाभ के लिए सिफारिशों को लेकर उम्मीदें बहुत अधिक हैं। हालांकि कोई ठोस घोषणा नहीं हुई है, लेकिन चल रही अटकलों से पता चलता है कि अगले संशोधन में अन्य के अलावा न्यूनतम वेतन और फिटमेंट फैक्टर जैसे महत्वपूर्ण बदलावों पर विचार किया जा सकता है।

8वें वेतन आयोग की मुख्य बातें:-

FeaturesDetails 
उद्देश्यकेन्द्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और भत्ते संशोधित करना।
स्थापना दिनांक16th जनवरी, 2025
कार्यान्वयन की अपेक्षित तिथि1st जनवरी, 2026
लाभार्थियोंलगभग 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारी और 65 लाख पेंशनभोगी
प्रमुख कारकवर्तमान वेतन संरचना की समीक्षाभत्तों का समायोजनपेंशन संशोधनफिटमेंट फैक्टर में परिवर्तन
अनुमानित फिटमेंट फैक्टर2.28 और 2.86 के बीच

8वां वेतन आयोग क्या है?

सरकार द्वारा घोषित 8वां वेतन आयोग, केंद्र सरकार के कर्मचारियों के मौजूदा वेतन ढांचे का आकलन करेगा। पिछले दो वेतन आयोगों की तरह, नए वेतन आयोग से भी मौजूदा वेतन ढांचे को बढ़ाने के लिए बदलाव सुझाने की उम्मीद है। पिछले कुछ वर्षों में, केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन ढांचे में काफी बदलाव आया है। 8वें वेतन आयोग से पहले, 7वें वेतन आयोग ने एक संरचित वेतन मैट्रिक्स पेश किया था, जिसने पिछले ग्रेड पे सिस्टम को स्तरों से बदल दिया था। इससे पहले, 6वें वेतन आयोग ने ग्रेड पे के साथ वेतन बैंड पेश किए थे, जो पहले के तय वेतनमानों की जगह लेते थे।

8वें वेतन आयोग की नवीनतम अपडेट:-

2020 में पेश किया गया 8वां वेतन आयोग भारत में एक नियोजित पहल है जो कार्यरत और सेवानिवृत्त केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन को संशोधित करने का प्रस्ताव करता है। 16 जनवरी, 2025 को, प्रधान मंत्री ने जीवन की बढ़ती लागत को कम करने और यह सुनिश्चित करने के लिए औपचारिक रूप से इसकी स्थापना की घोषणा की कि सरकारी वेतन मौजूदा आर्थिक परिदृश्य के साथ तालमेल बनाए रखता है।

8वें वेतन आयोग के कार्यान्वयन की तिथि:-

8वें वेतन आयोग के 1 जनवरी 2026 को लागू होने की उम्मीद है, जो वेतन आयोगों के बीच 10 साल के सामान्य अंतराल के बाद होगा। इसकी मंजूरी से रक्षा कर्मियों सहित लगभग 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों को मदद मिलने की संभावना है। इसके सुझावों में वेतन वृद्धि, नए भत्ते और पेंशन वृद्धि जैसे कई पहलू शामिल हो सकते हैं।

अपेक्षित 8वें वेतन आयोग वेतन भुगतान मैट्रिक्स:-

8वें वेतन आयोग के बाद आय में होने वाली सटीक वृद्धि का अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण है। हालांकि, विशेषज्ञों का सुझाव है कि अंततः मूल वेतन 20% से 35% के बीच बढ़ सकता है। 20% की गणना के साथ, निम्न तालिका विभिन्न वेतन मैट्रिक्स में अनुमानित वेतन दिखाती है।

पे मैट्रिक्स लेवल7वें सीपीसी मूल वेतन8वें सीपीसी मूल वेतन
पे मैट्रिक्स लेवल 1Rs. 18,000Rs. 21,600
पे मैट्रिक्स लेवल 2Rs. 19,900Rs. 23,880
पे मैट्रिक्स लेवल 3Rs. 21,700Rs. 26,040
पे मैट्रिक्स लेवल 4Rs. 25,500Rs. 30,600
पे मैट्रिक्स लेवल 5Rs. 29,200Rs. 35,040
पे मैट्रिक्स लेवल 6Rs. 35,400Rs. 42,480
पे मैट्रिक्स लेवल 7Rs. 44,900Rs. 53,880
पे मैट्रिक्स लेवल 8Rs. 47,600Rs. 57,120
पे मैट्रिक्स लेवल 9Rs. 53,100Rs. 63,720
पे मैट्रिक्स लेवल 10Rs. 56,100Rs. 67,320
पे मैट्रिक्स लेवल 11Rs. 67,700Rs. 81,240
पे मैट्रिक्स लेवल 12Rs. 78,800Rs. 94,560
पे मैट्रिक्स लेवल 13Rs. 1,23,100Rs. 1,47,720
पे मैट्रिक्स लेवल 13ARs. 1,31,100Rs. 1,57,320
पे मैट्रिक्स लेवल 14Rs. 1,44,200Rs. 1,73,040
पे मैट्रिक्स लेवल 15Rs. 1,82,200Rs. 2,18,400
पे मैट्रिक्स लेवल 16Rs. 2,05,400Rs. 2,46,480
पे मैट्रिक्स लेवल 17Rs. 2,25,000Rs. 2,70,000
पे मैट्रिक्स लेवल 18Rs. 2,50,000Rs. 3,00,000

8वें वेतन आयोग में फोकस के प्रमुख क्षेत्र:-

वेतन और भत्तों का पुनर्गठन: 8वां वेतन आयोग सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन ढांचे की समीक्षा और संशोधन करने के लिए तैयार है। इसके अतिरिक्त, यदि स्वीकृत हो जाता है, तो संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रगति (MACP) योजना में प्रस्तावित सुधारों का उद्देश्य किसी कर्मचारी के पूरे करियर में कम से कम पाँच पदोन्नति प्रदान करना है। महंगाई भत्ता (DA) और अंतरिम राहत: महंगाई भत्ते (DA) को मूल वेतन में मिलाने की लंबे समय से मांग की जा रही है। इसके अलावा, केंद्र सरकार के कर्मचारी नए वेतन आयोग के लागू होने तक अंतरिम वित्तीय राहत की वकालत कर रहे हैं। अपेक्षित वेतन वृद्धि: केंद्र सरकार के कर्मचारियों को वर्तमान में 7वें वेतन आयोग के अनुसार भुगतान किया जाता है, जिसे 2016 में लागू किया गया था। 8वें वेतन आयोग के तहत संशोधित वेतन ‘फिटमेंट फैक्टर’ द्वारा निर्धारित किया जाएगा – जो वर्तमान मूल वेतन पर लागू एक गुणक है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह कारक 2.57 से बढ़कर 2.86 हो सकता है, जिससे लेवल 1 में न्यूनतम मूल वेतन संभवतः ₹18,000 से बढ़कर ₹51,480 हो सकता है। सभी 10 स्तरों के कर्मचारियों को अपने वेतन और पेंशन में समायोजन देखने की उम्मीद है।

8वां वेतन आयोग संभवतः केंद्र सरकार के कर्मचारियों के पारिश्रमिक ढांचे, भत्तों और पेंशन संबंधी लाभों में महत्वपूर्ण संशोधन पेश करेगा। समकालीन लागतों को ध्यान में रखते हुए, आयोग का लक्ष्य एक न्यायसंगत मुआवजा पैकेज तैयार करना है। हालाँकि अंतिम सुझाव अभी जारी नहीं किए गए हैं, लेकिन संभावित वेतन वृद्धि और नीति संशोधनों का कई सरकारी अधिकारियों और पेंशनभोगियों पर काफी प्रभाव पड़ सकता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:-

“Budget 2025: New announcements, tax changes and impact on the economy | Complete information”

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को वित्त वर्ष 2025-26 का बजट प्रस्तुत किया, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में कई महत्वपूर्ण बदलाव और नीतिगत सुधार शामिल हैं।

केंद्रीय बजट 2025 में आम जनता को कई राहतें और लाभ दिए जाने की उम्मीद है। इस बजट में सरकार ने टैक्स में छूट, महंगाई पर नियंत्रण, सरकारी योजनाओं में बढ़ोतरी, और रोजगार के अवसरों पर विशेष ध्यान दिया है। आइए विस्तार से जानते हैं कि इस बजट में आम आदमी को क्या-क्या फायदा मिलेगा।

1.इनकम टैक्स में राहत

नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) में और छूट – सरकार ₹7 लाख तक की कर-मुक्त आय सीमा को बढ़ाकर ₹8 लाख या ₹10 लाख करने पर विचार कर सकती है।


स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ सकता है – सैलरीड क्लास को अधिक राहत देने के लिए ₹50,000 का स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाया जा सकता है।
पुरानी कर व्यवस्था में छूट – 80C के तहत निवेश की सीमा ₹1.5 लाख से बढ़ाकर ₹2 लाख हो सकती है।

2. महंगाई पर नियंत्रण और GST में राहत :-

✔ जरूरी चीजों पर टैक्स घट सकता है – दैनिक उपयोग की चीजों जैसे खाद्य पदार्थों, दूध, दवाओं, गैस सिलेंडर पर GST में राहत मिल सकती है।
✔ पेट्रोल-डीजल सस्ता होने की संभावना – एक्साइज ड्यूटी में कटौती की जा सकती है, जिससे ईंधन के दाम कम होंगे और महंगाई घटेगी।
✔ घर खरीदने वालों को राहत – होम लोन ब्याज पर टैक्स छूट बढ़ाई जा सकती है, जिससे मकान खरीदना आसान होगा।

3. सरकारी योजनाओं में बढ़ोतरी:-

प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) – सरकार गरीबों को घर देने के लिए बजट बढ़ा सकती है।
स्वास्थ्य योजनाओं में बढ़ोतरी – आयुष्मान भारत योजना का दायरा बढ़ाया जा सकता है, जिससे अधिक लोग मुफ्त इलाज का लाभ उठा सकें।
राशन कार्डधारकों को फायदा – फ्री राशन योजना को और बढ़ाया जा सकता है, जिससे गरीब तबके को राहत मिलेगी।

4. रोजगार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा:-

नई नौकरियाँ आएंगी – इंफ्रास्ट्रक्चर और मेक इन इंडिया योजनाओं के तहत लाखों रोजगार सृजित किए जा सकते हैं।
स्टार्टअप्स को टैक्स में छूट – छोटे व्यापारियों और स्टार्टअप्स को टैक्स में और छूट देने की योजना हो सकती है।
MSME सेक्टर को बढ़ावा – छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए आसान लोन और सब्सिडी का प्रावधान किया जा सकता है।

5. किसानों और ग्रामीण विकास के लिए राहत:-

किसानों के लिए सीधी आर्थिक सहायता – PM किसान सम्मान निधि में सालाना ₹6,000 की राशि को बढ़ाया जा सकता है।
खाद-बीज पर सब्सिडी – खेती के खर्च को कम करने के लिए उर्वरकों पर अधिक सब्सिडी दी जा सकती है।
सिंचाई और ग्रामीण विकास – गाँवों में पानी और बिजली की सुविधा बढ़ाने के लिए अतिरिक्त बजट दिया जा सकता है।

6. शिक्षा और डिजिटल इंडिया पर फोकस:-

छात्रवृत्ति योजनाओं में बढ़ोतरी – गरीब छात्रों के लिए अधिक स्कॉलरशिप दी जा सकती है।
ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा – डिजिटल इंडिया के तहत स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के लिए नई योजनाएँ आ सकती हैं।
AI और स्किल डेवलपमेंट – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और नई तकनीकों में युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए बजट बढ़ाया जा सकता है।

टैक्स एवं वित्तीय नीतियां:-

1.आयकर स्लैब में कोई बदलाव हुआ है या नहीं?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 में आयकर स्लैब में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है, जो विशेष रूप से मध्यम वर्ग के करदाताओं के लिए लाभकारी हैं। आइए, इन परिवर्तनों को विस्तार से समझते हैं:

नई कर व्यवस्था (New Tax Regime) के तहत आयकर स्लैब:

सरकार ने नई कर व्यवस्था में आयकर स्लैब को संशोधित किया है, जिससे करदाताओं को अधिक राहत मिलेगी। नए स्लैब इस प्रकार हैं:

वार्षिक आय (₹)कर दर (%)
0 – 4,00,000शून्य (0%)
4,00,001 – 8,00,0005%
8,00,001 – 12,00,00010%
12,00,001 – 16,00,00015%
16,00,001 – 20,00,00020%
20,00,001 – 24,00,00025%
24,00,001 से अधिक30%

इन संशोधनों के अनुसार, अब ₹4 लाख तक की वार्षिक आय पर कोई कर नहीं लगेगा। इसके बाद, ₹4 लाख से ₹8 लाख तक की आय पर 5% कर, और इसी प्रकार उच्च आय वर्गों के लिए कर दरें बढ़ती जाएंगी। ₹24 लाख से अधिक की आय पर 30% की अधिकतम कर दर लागू होगी।

स्टैंडर्ड डिडक्शन:

वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर ₹75,000 कर दिया गया है, जिससे उनकी कर योग्य आय में और कमी आएगी।

पुरानी कर व्यवस्था (Old Tax Regime):

पुरानी कर व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है। जो करदाता छूट और कटौतियों का लाभ उठाना चाहते हैं, वे पुरानी व्यवस्था का चयन कर सकते हैं।

क्षेत्रवार प्रभाव विश्लेषण:-

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 में किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधानों की घोषणा की है। मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:

1.कृषि और किसानों के लिए नये प्रावधान:-

प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना

मखाना बोर्ड की स्थापना

दलहन और कपास उत्पादन बढ़ाने के लिए कार्यक्रम

उच्च उपज वाले बीजों के विकास के लिए राष्ट्रीय मिशन

कृषि ऋण में वृद्धि

2. स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा बजट आवंटन:-

स्वास्थ्य सेवा के लिए बजट आवंटन

कुल आवंटन: स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए ₹95,957.87 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जो पिछले वर्ष के ₹86,582.48 करोड़ से अधिक है।

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY): इस योजना के लिए ₹9,406 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया है, जिससे गरीब और जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी।

प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (PMABHIM): स्वास्थ्य सेवाओं के ढांचे को बेहतर बनाने के लिए इस मिशन को ₹4,200 करोड़ का आवंटन किया गया है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM): ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हेतु इस मिशन के लिए ₹37,226.92 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है।

राष्ट्रीय टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम: मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल रूप से प्रदान करने के लिए इस कार्यक्रम के लिए ₹79.6 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

जीवनरक्षक दवाओं पर कस्टम ड्यूटी हटाना: 36 जीवनरक्षक दवाओं पर कस्टम ड्यूटी हटाई गई है, जिससे ये दवाएं अधिक सुलभ और किफायती होंगी।

कैंसर देखभाल केंद्रों की स्थापना: 200 डे केयर कैंसर सेंटर खोले जाएंगे, जिससे कैंसर रोगियों को बेहतर उपचार सुविधाएं मिल सकेंगी।

मेडिकल शिक्षा का विस्तार: मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में अगले वर्ष 10,000 सीटें बढ़ाई जाएंगी, और अगले 5 वर्षों में 75,000 सीटें बढ़ाने का लक्ष्य है, जिससे डॉक्टरों और विशेषज्ञों की उपलब्धता में वृद्धि होगी।

शिक्षा के लिए बजट आवंटन

कुल आवंटन: शिक्षा क्षेत्र के लिए ₹1,28,650 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 7% की वृद्धि दर्शाता है।

स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग: इस विभाग के लिए ₹78,000 करोड़ का आवंटन किया गया है, जिससे प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में सुधार होगा।

भारतीय भाषा पुस्तक परियोजना: स्कूल और उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं की डिजिटल किताबें उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह परियोजना शुरू की जाएगी।

अटल टिंकरिंग लैब्स: अगले 5 वर्षों में सरकारी स्कूलों में 50,000 अटल टिंकरिंग लैब्स स्थापित की जाएंगी, जिससे छात्रों में नवाचार और तकनीकी कौशल को बढ़ावा मिलेगा।

ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी: गांवों के सभी सरकारी सेकेंडरी स्कूलों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) में ब्रॉडबैंड इंटरनेट प्रदान किया जाएगा, जिससे डिजिटल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा।

पीएम रिसर्च फेलोशिप: आईआईटी और आईआईएससी बैंगलोर के छात्रों के लिए 10,000 पीएम रिसर्च फेलोशिप प्रदान की जाएंगी, जो बढ़ी हुई वित्तीय सहायता के साथ आती हैं।

एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस: शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने के लिए एआई सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की जाएगी, जिसके लिए ₹500 करोड़ का आवंटन किया गया है।

इन प्रावधानों का उद्देश्य देश में स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है, जिससे समग्र विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।

3.स्टार्टअप और आईटी उद्योग के लिए मुख्य बातें निम्न है :-

1. स्टार्टअप्स के लिए 10,000 करोड़ रुपये का फंड ऑफ फंड्स

2. कराधान में सुधार

3. व्यापार करने में आसानी

4. डिजिटलीकरण और वित्तीय समावेशन

5. नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन

6. अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ावा

7. आईआईटी का विस्तार

8. 22 लाख नई नौकरियां

9. एमएसएमई के लिए क्रेडिट गारंटी योजनाएं

10. नए फंड ऑफ फंड्स की स्थापना

सरकारी योजनाएं और सब्सिडी

-संशोधित उड़ान योजना (Udan Scheme)

-प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना का विस्तार

-महिला, अनुसूचित जाति और जनजाति उद्यमियों के लिए ऋण सुविधा

-प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना

-मिशन दलहन

-यूरिया सब्सिडी

बजट 2025 VS पिछले साल का बजट:-

बजट 2025-26 और 2024-25 के प्रमुख बिंदुओं की तुलना :-

  1. कुल व्यय और पूंजीगत व्यय:

2024-25: संशोधित अनुमान के अनुसार, कुल व्यय ₹47.16 लाख करोड़ था, जिसमें पूंजीगत व्यय ₹10.18 लाख करोड़ था।

2025-26: बजट अनुमान में कुल व्यय ₹50.65 लाख करोड़ निर्धारित किया गया है, जिसमें पूंजीगत व्यय ₹11.21 लाख करोड़ है।

  1. राजस्व प्राप्तियां:

2024-25: संशोधित अनुमान में राजस्व प्राप्तियां ₹30.88 लाख करोड़ थीं।

2025-26: बजट अनुमान में राजस्व प्राप्तियां ₹34.20 लाख करोड़ होने का अनुमान है।

  1. राजकोषीय घाटा :

2024-25: संशोधित अनुमान में राजकोषीय घाटा GDP का 4.8% था।

2025-26: बजट में इसे घटाकर 4.4% करने का लक्ष्य रखा गया है।

  1. कर सुधार:

2025-26: मध्यवर्ग की क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए, शून्य कर स्लैब की सीमा को बढ़ाकर ₹12 लाख वार्षिक किया गया है, और कर स्लैब्स को पुनः संरचित किया गया है।

  1. कृषि और विनिर्माण क्षेत्र:

2025-26: कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष मिशन शुरू किए गए हैं, जैसे कि दालों और कपास के लिए मिशन। साथ ही, राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन की स्थापना की गई है।

  1. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI):

2025-26: बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाकर 100% किया गया है।

इन परिवर्तनों के माध्यम से, बजट 2025-26 का उद्देश्य आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना, मध्यवर्ग की क्रय शक्ति में वृद्धि करना, और निजी निवेश को बढ़ावा देना है।